मुझे समझते रहोगे उम्र भर...
मैं उलझाता रहूँगा उम्र भर...
बदरंगी मे खोने ना दूँगा...
रंग बिखेरता रहूँगा उम्र भर...
जब कभी तुम रोना चाहो...
रो ना पाओगे मेरे सामने...
हँसते हँसते रुला ना दूँ....
वो दर्द दूँगा उम्र भर...
दूर ना जा पाओगे कभी...
कि साथ चलता रहूँगा...
और जब तुम दौड़ने लगो...
छोड़ जाऊंगा उम्र भर...
तुम जाम समझ कर पीते रहो...
मेरी दोस्ती है वो नशा...
पैमाना न खाली हो कभी...
झूमते रहोगे उम्र भर...
कई आंखों मे छुपा रहता हूँ...
कई दिलों मे धड़कता हूँ...
कि लबों पर आते आते...
याद बन जाता हूँ उम्र भर...
~!दीपक
१७-जून-२००८
Tuesday, June 17, 2008
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