Wednesday, May 13, 2020

My Sister

Cute like a princess.
Loving like a friend.
Pretty like a peacock.
Sneaky like a trick.
Little like a mouse.
Protective like a house.
Playful like a  dolphin
Sweet like a munchkin.
I love her so much,
She’s so nice and kind.
No one would ever find.
She’s the cutest little princess ever.

That’s my cute little sister.

~Prasham
13-may-2020

Tuesday, May 12, 2020

Song on Happiness

I have a feeling, something good happening around,
I am relaxed and calm, lying down on the ground.
I’m smiling, singing song, 
counting stars, finding them all along.
Hippi yuppy, jumping all over,
Clicking pictures, celebration’s not over.
Chasing squirrels, hop and float,
On the clouds, sliding on Rainbow.
Happy soul is all you need
World is beautiful, happiness is the seed.

~Prasham

12-May-2020

Saturday, July 22, 2017

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना
अक्सर कुछ भूला याद दिला ही जाती है
कुछ भूले बिसरे पल फिर जी लेते है
और कुछ कड़वे घूँट फिर पिला जाती है |

उन पुराने पन्नो की महक अजीब होती है
साँसों में बस जाती है, बहका जाती है
कौन कहता है समय पीछे नहीं जाता
एक पल में पूरी जिंदगी घूम जाती है

बीता हुआ कल और यादें पीर ही देता है
कुछ वापस नहीं मिलता, कुछ छूट नहीं पाता
वो पुरानी किताब और सहेजा हुआ पन्ना
अटका रह जाता है, बढ़ नहीं पाता

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना
ख़ुशी और टीस  दोनों दे जाती है....

~!दीपक
२२-जुलाई-२०१७ 

Monday, April 21, 2014

मै पानी हूँ...

मै पानी हूँ, कही थमता नहीं
साथ तो रहा, पर रमता नहीं।
मै बढ़ जाता हूँ, पलटता नहीं,
पर किसी की यादों से हटता नहीं।

निशाँ छोड़ जाता हूँ,
कुछ मिट जाते है, कुछ नहीं।
और साथ घोल ले जाता हूँ ,
स्नेह प्रेम, बातें, कही-अनकही।

मैं  पानी हूँ , मुझे ना रंग पाओगे,
द्वेष, घृणा का, मुझमे स्वाद नही।
मैं  निर्मल हूँ, और निस्पृह भी,
छूत -अछूत का मुझमे भाव नहीं।

मैं  पीयूष हूँ, जीवन लहलहाता  हूँ,
आग बुझाता हूँ, आग लगाता नहीं।
मेरी खुशबू पुष्पों से आती है,
मै वैरागी हूँ, पानी मात्र नहीं।

~!दीपक
२१-अप्रैल-२०१४ 

Tuesday, October 23, 2012

कई शामें हुई आज शमा जलाई है

कई शामें हुई आज शमा जलाई है
जिन्दा होती यादों में चिंगारी लगाईं है 

दिल है कि थमने का नाम नहीं लेता..
अँधेरे में तलाशता तेरी परछाई है

तेरे दीदार की हसरतें भी ना थी 
तुम दिख गए, क्या रुसवाई है

अब पर्दा भी नहीं करते वो बेहया
हमें सर-ए-महफ़िल शर्म आई है

खौफ -ए-खुदा हम जाम नहीं लेते
दस्तूर-ए-हुस्न मयकशी छाई है

तनहा नहीं रहने देती मुझे तन्हाई
कई शामें हुई आज शमा जलाई है

~!दीपक 
२३-अक्टूबर-२०१२

Friday, May 4, 2012

तो मै फिर किसी से क्या कहूं...

सांवली सी परछाई मुझसे, आज शिकायत करती हुई बोली..
क्यूँ कहते हो अँधेरे में.. मै भी साथ छोड़ जाती हूँ
जानते हो..
उजाले में तो मै सिर्फ तुम्हारे साथ चलती हूँ..
और अँधेरे में, मै तुम्हारे चारों ओर छा जाती हूँ

अब तुम बालमन इसे भी अंधियारा ही समझो...
तो मै फिर किसी से क्या कहूं...

~!दीपक
०४-मई-२०१२

Tuesday, December 27, 2011

ये बात और है!!!

तेरी परछाई से पहचान लेता हूँ तुझे,
      तुम फिर भी घूंघट रखो, ये बात और है|

दुनिया की रस्मे और तुम्हारी कसमे मेल नहीं खाती,
      तुम फिर भी खुश रहो, ये बात और है|

तेरी बाहों में यथार्थ स्वप्न बन जाता है,
      कभी स्वप्न भी यथार्थ बने, ये बात और है|

~!दीपक
२२-नवम्बर-२०११