प्रियतमा, तोरी सखी मन भावे,
ध्यान करत सुध-बुध खो जावे..
मन बगिया में टेशू सी लाल,
आग लगाए जो लगाए गुलाल..
बूझ सके सो कौन सयानो,
तज सके सो कौन अयानो...
तुम दोई जैसें सूरज-चन्दा,
एक ह्रदय को दो-दो फंदा..
सो पकरो चाहे जितनी चोरी,
हमहूँ खेरें दोई संग होरी...
बुरा ना मानो, होली है....
~!Dpak
१०-मार्च-०९
Tuesday, March 10, 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)