सवाल है जबाब है
चेहरे पे नकाब है
छुप रहा है आड़ में..
किसका ये शबाब है..
अजनबी था, ना रहा..
फकीर है, नबाब है..
ढूंढ लाओ उसे,
दिल पे ये दबाब है..
रिस रिस कर छुप रहा..
किस का ये आब है..
मेरे घर की मिट्टी,
आज सोने के भाव है..
परछाई तो दिखे,
पर धूप है ना छाव है..
रास्ता ना दिखा, पर
लगता है चड़ाव है..
नेता अभिनेता का
कैसा ये चुनाव है
हार जीत के बिना
कैसा ये दांव है..
रहते तो है हम यहाँ..
फिर किसका ये गाँव है..
आज हमारी तलैया में
कही और की नाव है..
दर्द हमारे दिल में है.
उनके दिल में घाव है..
कोयल की शकल में,
कौए की कांव कांव है..
~!दीपक
२-जून-०९
Tuesday, June 2, 2009
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