Friday, May 4, 2012

तो मै फिर किसी से क्या कहूं...

सांवली सी परछाई मुझसे, आज शिकायत करती हुई बोली..
क्यूँ कहते हो अँधेरे में.. मै भी साथ छोड़ जाती हूँ
जानते हो..
उजाले में तो मै सिर्फ तुम्हारे साथ चलती हूँ..
और अँधेरे में, मै तुम्हारे चारों ओर छा जाती हूँ

अब तुम बालमन इसे भी अंधियारा ही समझो...
तो मै फिर किसी से क्या कहूं...

~!दीपक
०४-मई-२०१२