Saturday, July 22, 2017

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना
अक्सर कुछ भूला याद दिला ही जाती है
कुछ भूले बिसरे पल फिर जी लेते है
और कुछ कड़वे घूँट फिर पिला जाती है |

उन पुराने पन्नो की महक अजीब होती है
साँसों में बस जाती है, बहका जाती है
कौन कहता है समय पीछे नहीं जाता
एक पल में पूरी जिंदगी घूम जाती है

बीता हुआ कल और यादें पीर ही देता है
कुछ वापस नहीं मिलता, कुछ छूट नहीं पाता
वो पुरानी किताब और सहेजा हुआ पन्ना
अटका रह जाता है, बढ़ नहीं पाता

किताबों को सहेजकर कभी मत रखना
ख़ुशी और टीस  दोनों दे जाती है....

~!दीपक
२२-जुलाई-२०१७ 

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