मै पानी हूँ, कही थमता नहीं
साथ तो रहा, पर रमता नहीं।
मै बढ़ जाता हूँ, पलटता नहीं,
पर किसी की यादों से हटता नहीं।
निशाँ छोड़ जाता हूँ,
कुछ मिट जाते है, कुछ नहीं।
और साथ घोल ले जाता हूँ ,
स्नेह प्रेम, बातें, कही-अनकही।
मैं पानी हूँ , मुझे ना रंग पाओगे,
द्वेष, घृणा का, मुझमे स्वाद नही।
मैं निर्मल हूँ, और निस्पृह भी,
छूत -अछूत का मुझमे भाव नहीं।
मैं पीयूष हूँ, जीवन लहलहाता हूँ,
आग बुझाता हूँ, आग लगाता नहीं।
मेरी खुशबू पुष्पों से आती है,
मै वैरागी हूँ, पानी मात्र नहीं।
~!दीपक
२१-अप्रैल-२०१४
साथ तो रहा, पर रमता नहीं।
मै बढ़ जाता हूँ, पलटता नहीं,
पर किसी की यादों से हटता नहीं।
निशाँ छोड़ जाता हूँ,
कुछ मिट जाते है, कुछ नहीं।
और साथ घोल ले जाता हूँ ,
स्नेह प्रेम, बातें, कही-अनकही।
मैं पानी हूँ , मुझे ना रंग पाओगे,
द्वेष, घृणा का, मुझमे स्वाद नही।
मैं निर्मल हूँ, और निस्पृह भी,
छूत -अछूत का मुझमे भाव नहीं।
मैं पीयूष हूँ, जीवन लहलहाता हूँ,
आग बुझाता हूँ, आग लगाता नहीं।
मेरी खुशबू पुष्पों से आती है,
मै वैरागी हूँ, पानी मात्र नहीं।
~!दीपक
२१-अप्रैल-२०१४
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