मकां की कीमत उसमे बसे चाँद से होती है,
कौन जाने मकां गिरे, या गिरा दिए गए...
तेरी जुदाई मे हमने बस अश्क ही पिए हैं,
कोई तो बता दे, तुम छोड़ गए या छुडा दिए गए...
मैं हार ना माना था हिम्मत जवाब दे गयी,
वह मुस्कुरा देते, पर सर झुका लिए गए...
तुम ना भूल पाओगे मुझे खलिश सा चुभता रहूँगा,
निशां तो बन जायेंगे ही, कील जो निकाल लिए गए...
ना गिला रखना गर तन्हा पड़ जाओ तुम,
मैं साथ रहूँगा, फासले चाहे बढ़ा लिए गए...
कमबख्त ये इश्क है ही ऐसा ना जीने देगा ना मरने,
कब्र पर आये वो, मिलने की ख़ुशी मे फूल थमा दिए गए...
शुक्रगुजार हूँ तेरा कि कभी तो तेरा अपना हुआ,
अब तो बेगानो से दोस्ती है, अपने बेगाने बना लिए गए...
~!दीपक
१८-१२-२००७
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