गांधीजी के बंदरों पर जब हमने डाला रंग...
बिदक गए और बोले क्यों ध्यान किया भंग..
बोले हम, थोड़ी ठंडाई लाये है, ले लो..
अपनी तन्द्रा के, कुछ तो राज़ खोलो..
वे बोले भैया, इसमें क्या राज़ है..
विकास दर देखो, १०० रुपया किलो अनाज है..
बापू ने बस हमको तमाशबीन बनाया..
वो बिलकुल ना देखना, जो मन को ना भाया
बुरा हुआ तो भी चुप्पी साधे बैठो..
बुरा ना सुनने का बहाना लेकर, कान ऐंठो..
होली में कम से कम, सांकेतिक बुराई तो जलाते हो...
क्या बुरा करते हो, जो गांधीजी के बन्दर बुलाते हो|
~!दीपक
२८-०२-२०१०
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