तुम दूर हो मुझसे मेरी यादों से नही..
यूँ ही नही रात भर मुझे सताते हो तुम...
गर रूठ ही जाते, तो इस कदर ना रूठते ...
कि मुझे सुला जाते और कभी ना जगाते तुम ...
इक चाह तुझे भी होगी, कि मना लाऊ तुझे ...
कि खिलखिलाते हुए, यूँ ही रुआंसे ना हो जाते तुम ..
दूर कितना ही करलो, पास ही पाओगे मुझे...
जितना दूर जाते हो, उतना ही लौट आते हो तुम...
कब तक ख़ुद को तन्हा समझाते रहोगे ...
ख़ुद ही तो बात अपनी, सुन नही पाते जो तुम ...
~!दीपक
२३-१२-२००८
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