Sunday, December 20, 2009

किसी ने मुझे लूटा सरेआम..

किसी ने मुझे लूटा सरेआम..
खुदा सारी खुदाई दे देंगे..
ना जाने क्या है मेरा अंजाम
मेरे दुश्मन गवाही दे देंगे...

बेरहमी से कत्ल हुआ हूँ मै.
उसके दीदार साँसे दे देंगे
दिल की धड़कने सुनाई है
पत्थर अपनी आवाज़े दे देंगे

दोस्तों में चर्चे मजाकिया है
दीवाने दीवानगी दे देंगे..
सब कुछ तो ले लिया उसने..
फिर भी, जो बना दे देंगे

वक़्त भी तेरे इंतज़ार में है
आ जाओ, इसे रिहाई दे देंगे
एक बार जो थामो अगर
मौत को जुदाई दे देंगे...

~!दीपक
२०-१२-२००९

दिल से देखना अभी अभी सीखा है

मैंने प्यार में जीना अभी अभी सीखा है
दरअसल मैंने जीना अभी अभी सीखा है

जिंदगी तो ऐसी होती है, ख़ुशी ऐसी होती है
होना दुनिया से बेगाना अभी अभी सीखा है

मुस्कुराता हूँ, दोस्तों से छुपाता रहता हूँ
चोरी चुपके कतराना अभी अभी सीखा है

तन्हाई अच्छी लगती है, ख्यालो में रहता हूँ
थोडा रहना मदहोश अभी अभी सीखा है

ना छेड़ो मुझे, सपने देख रहा हूँ
दिल से देखना अभी अभी सीखा है

!~दीपक
२०-१२-२००९

गर ये प्यार है,

गर ये प्यार है,
सचमुच खूबसूरत है
कल्पनाओं को मेरी,
पर मिल गए...

प्रवाह बह निकला है
बंदिशें नहीं लगती..
बीच बाँध में जैसे,
दर मिल गए...

कहीं जगह तो मिली,
कहीं तो दिल जुडा..
शब्दों को मेरे,
घर मिल गए...

कोई हार जीत नहीं
कोई बैर भाव नहीं
स्वर्गों के सुनहरे
दर मिल गए..

यही तो निर्वाण है
शायद तपस्या भी..
कर्म करने के लिए
कर मिल गए...

तुम मिल गए..
मै मिल गया..
अब और क्या रहा
हम मिल गए...

~!दीपक
२०-१२-२००९

जब कभी भी मै शर्माता हूँ...

मुझे प्यार कभी कभी ही होता है
अक्सर खुद को जब लुटा पाता हूँ
सारी इन्द्रियाँ शिथिल हो जाती है
और शायद ही शक्ति जुटा पाता हूँ

कोई मुझे स्तब्ध कर जाए..
तन मन परिवर्तित कर जाए
जब खुद को ठगा हुआ पाता हूँ..
मुस्कुराता,  पीछे हट जाता हूँ

सोचना- बोलना बंद हो जाता है
खुद में खुद को तलाशता पाता हूँ 
इंतज़ार में रहना कब..क्या करू
हर लम्हा खासमखास पाता हूँ..

वो दुनिया अलग है, नि:शब्द है
बोलता तो हूँ, पर हकलाता हूँ
समझ जाता हूँ कि प्यार हुआ,
जब कभी भी मै शर्माता हूँ...

~!दीपक
२०-१२-२००९

सारे पशेमन मै जलाने आ रहा हूँ...

बहता ही जा रहा हूँ, उड़ता ही जा रहा हूँ..
मुझे नहीं पता, मै कहाँ जा रहा हूँ..

रोके न रुकता हूँ, कैसे जा रहा हूँ...
शायद उसी से मिलने जा रहा हूँ

वो भी मेरे ख्याल में डूबे हुए है..
ख्याल उनके बेतरतीब लिखते जा रहा हूँ

मुझे ही नहीं पता, मै क्या कह रहा,
कोई क्या समझे, क्या कहता जा रहा हूँ

आभास नहीं था अब तक जी रहा था मै
अब जी रहा हूँ, जिंदगी मै आ रहा हूँ..

तुम निकल पडो, पर्दों में ना रहो...
सारे पशेमन मै जलाने आ रहा हूँ...

~!दीपक
२०-१२-२००९

जब हमको प्यार हो गया...

ज़माने थे महफिले इंतज़ार करती थी
ये भी दौर है, अब हम इंतज़ार करते है
कभी शमा से खेला करते थे दीपक
अब दिल-ओ-जान से प्यार करते है

हर एक चेहरा देखते है उजाले में...
अंधेरों में मिलने से इंकार करते है
एक-दो जाम जो कभी टकरा लेते थे..
पैमानों से वापस बोतल में भरते है

शायद उसने शराफत सिखा दी...
दुनियादारी से खिलाफत करते है
जब हमको प्यार हो गया...
क्यों वो शिकायत करते है...

~!दीपक
२०-१२-२००९

तुम नहीं मिलते, तुम भी बदल गयी...

तुम क्या मिले, मेरी दुनिया बदल गयी..
दोस्त बदल गए, किस्मत बदल गयी..

हर कोई दुश्मन नज़र आता है अब तो..
तुम नहीं मिलते, तुम भी बदल गयी...

तुम्हे ही देखता हूँ, तुम्हे ही खोजता हूँ
नज़ारे वही है, मेरी नज़र बदल गयी...

यूँ तो कभी कोई शिकवा न रहा मुझे
मेरी ही यही बात, ये भी बदल गयी...

कोई नहीं था मेरा दुनिया में अब तक
तुम क्या मिले, तुममे दुनिया बदल गयी...

~!दीपक
२०-१२-२००९

किसी से मिलने का इंतज़ार हमें भी है अब

किसी से मिलने का इंतज़ार हमें भी है अब
शायद किसी से प्यार हमें भी है अब...

ना देखते तो शायद यूँ ना लुटते..
उस क़यामत से इकरार हमें भी है अब

फिर मिला तो पूछूंगा भूले तो ना थे हमे
उनसे दीवानगी का इसरार हमें भी है अब

लबो को सी दिया था जिसके दीदार ने
करना उनसे इज़हार हमें भी है अब

कुछ खो जाने का डर लगा रहता है
पाना दिल का करार हमें भी है अब..

~!दीपक
२०-१२-२००९

उससे बिछड़ जाने का क्यूँ गिला है मुझे..

उससे बिछड़ जाने का क्यूँ गिला है मुझे..
मैंने तो उस से बात भी की ना थी...
एक नज़र देखा था मदहोशी में...
एक जाम में नफासत खोई ना थी...

बस देखता ही रहा उसके नूर को
आखों में इतनी ताजगी पहले ना थी
फिर जुबां पर ही ताला कैसे लगा..
शायद, उससे गुफ्तगू हो तो रही थी...

छोड़ आया जब उस गली को..
दिल में धड़कने, रही ना थी...
ज़माने ने मुझको उलझा लिया
कदमो में हलचल रही ना थी

सोचता हूँ कही तो मिल जाऊ फिर से
अचानक ही जैसे, उम्मीद ना थी
कुछ तो बात होगी ...
जैसे, कभी कोई बात ना थी...


~!दीपक
२०-१२-२००९