गर ये प्यार है,
सचमुच खूबसूरत है
कल्पनाओं को मेरी,
पर मिल गए...
प्रवाह बह निकला है
बंदिशें नहीं लगती..
बीच बाँध में जैसे,
दर मिल गए...
कहीं जगह तो मिली,
कहीं तो दिल जुडा..
शब्दों को मेरे,
घर मिल गए...
कोई हार जीत नहीं
कोई बैर भाव नहीं
स्वर्गों के सुनहरे
दर मिल गए..
यही तो निर्वाण है
शायद तपस्या भी..
कर्म करने के लिए
कर मिल गए...
तुम मिल गए..
मै मिल गया..
अब और क्या रहा
हम मिल गए...
~!दीपक
२०-१२-२००९
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