बहता ही जा रहा हूँ, उड़ता ही जा रहा हूँ..
मुझे नहीं पता, मै कहाँ जा रहा हूँ..
रोके न रुकता हूँ, कैसे जा रहा हूँ...
शायद उसी से मिलने जा रहा हूँ
वो भी मेरे ख्याल में डूबे हुए है..
ख्याल उनके बेतरतीब लिखते जा रहा हूँ
मुझे ही नहीं पता, मै क्या कह रहा,
कोई क्या समझे, क्या कहता जा रहा हूँ
आभास नहीं था अब तक जी रहा था मै
अब जी रहा हूँ, जिंदगी मै आ रहा हूँ..
तुम निकल पडो, पर्दों में ना रहो...
सारे पशेमन मै जलाने आ रहा हूँ...
~!दीपक
२०-१२-२००९
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