Thursday, May 13, 2010

वो शिकवा भी करते है और इंतज़ार भी..

वो शिकवा भी करते है और इंतज़ार भी
खुदा से दुआऐ मांगते, रहते है बेक़रार भी

हमसे मिलना भी नहीं और जुदा रहना नहीं
मुहब्बत की नेम बख्शी, पानी भी आग भी

दिनों को गिना करते हैं राते कटती नहीं
फकीर से आज़ाद भी इश्क के बीमार भी

लौटकर आ जाते है छोड़कर जाते नहीं
साहिल की लहरें भी, और पिंज़रेदार भी

रुख्सत कर दे शख्सियत जहां से मेरी
एक मेरी जान भी, और तेरी याद भी

~!दीपक
१३-मई-२०१०

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

वो शिकवा भी करते है और इंतज़ार भी
खुदा से दुआऐ मांगते, रहते है बेक़रार भी

हमसे मिलना भी नहीं और जुदा रहना नहीं
मुहब्बत की नेम बख्शी, पानी भी आग भी


इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....