क्यूँ ना कुछ मछरियाँ पकड़ी जाए
क्यूँ ना पानी में घात लगाईं जाये
या प्रतिबिम्ब से ही खेला जाये
या बस यूँ ही छलांग लगाईं जाए
मगर का शिकार भी कर ले आज
चलो कुछ अनोखा आजमाया जाए
तुम तपते रहो दिवाकर...
गर हराना है तो तुम्हे हराया जाये
~!दीपक
०६-मई-२०१०
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