Thursday, May 13, 2010

तुम छुपोगे, मै निकाल लाऊंगा...

ये आया मै, संभालो मुझे
देखे कितनी गहराई है तुझमे
तलहटियों तक डूबके देखूंगा
कितनी फिसलन है उसमे

तुम कहाँ पर छुपोगे...
सोचकर कि मै ना आऊंगा
ये तो दरिया है पानी का
तुम छुपोगे, मै निकाल लाऊंगा...

~!दीपक
०८-मई-२०१०

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर