क्या सोचकर दोस्ती का हाथ आगे बढाते हो,
मुझे तो अपना नाम भी, बताना नही आता॥
कोई तो आ जाए जब तुम बात करते हो,
मुझे बात करने का बहाना नही आता॥
तुम शिकवे भी मुहब्बत से कर लेते हो,
मुझे तो प्यार भी जताना नही आता॥
कोना बता दे दिल का जो बदरंग देखते हो,
मुझे बेवजह पानी बहाना नही आता॥
जिस से दिल मिलते नही क्यूँ हाथ मिलाते हो,
मुझे बेवजह दोस्ती निभाना नही आता॥
क्या करू जो आंखों को अश्कवार करते हो,
मुझे दोस्तों पर नश्तर, चलाना नही आता॥
फ़िर क्या सोचकर दोस्ती का हाथ आगे बढाते हो,
मुझे झूठे हसीं ख्वाब दिखाना नही आता॥
~!दीपक
२१-फरवरी-२००९
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1 comment:
जिस से दिल मिलते नही क्यूँ हाथ मिलाते हो,
मुझे बेवजह दोस्ती निभाना नही आता॥
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ.....
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