वो चिलमन हटाते है इस कदर दीपक...
जैसे नूर का कोई अक्श, छुपा ही नहीं था..
दुनिया में हर कोई दिखाई देता है...
साया ही साथ चलता है, दिखाई दिए वगैर..
मुहब्बत दीवानगी है, आवारगी ना कहो...
मदहोशी का मजा, होश में नहीं लेते...
किस अदा से देखो वो रुख बदलते है,
नज़र नही हटती, नजारे बदल जाते है॥
हमारे सवाल पर उनका कोई सवाल नही आया,
इधर उधर ताकती उनकी नज़र, बयान कर गई सबकुछ॥
उनसे इज़हार की बातें कैसे बयाँ कर दूँ,
कुछ लम्हों के किए, लफ्ज़ कम पड़ जाते है॥
वो हमारी बरबादी पे हँसते है..
और उनकी इक मुस्कान के लिए,
हम बरबाद होते है खुशी-खुशी...
नया कानून है, नया ज़माना है, नया फ़साना है,
राखी बहनों से ही नहीं, भाइयों से भी बंधवाना है..
मेरे दुश्मन मेरी खैरियत की दुआ मांगेंगे
मेरे कुछ दोस्त, मेरी पीठ में छुरा मारेंगे...
हम तो मशरूफ रहे, मुफलिसी में अपनी
बातें क्या सुनाई देती, हमको जली-जली
वो चाँद बहता हुआ आता तो दिखा था...
आसमां के आगोश में ना जाने कब चला गया..
यूँ हिसाब की बात ना करो प्यार में...
इसे ना तौल पाया, खुदा किसी व्यापार में...
चाँद आजकल कुछ ज्यादा ही शरमा रहा है...
तुम निकल आओ ये अर्ज़ है, वो तन्हा घबरा रहा है...
तुमसे क्या गिला करे कि बेईमान बना दिया हमे...
जब ईमान ही न रहा, तो यकीन करता कौन है...
तन्हाई में हमारी आहे भी हिचकियाँ दे जाती है उसे...
सरे आम नाम लिया तो, कही साँसे ही न भुला बैठे..
अब हमारी बातें इतनी आम हो चली...
कहने से पहले ही, समझ लेते है लोग...
सवालों पर जवाब, अब हमको देने है...
उन्हें तो चुप रहने की अदा सिखा गया कोई...
अजब चीज़ है ये शराब भी..
उन्हें भुलाने पीते है, ये हिचकियाँ ले आती है..
हमे तो तुझमे कोई रंग ना दिखा ऐ खुदा..
ना जाने क्यू फिर, तुझे रक्तिमा से रंगते है..
नातों की हर डोर, तोड़ रहे है दोनों..
देख कर अनदेखा करना, सीख रहे है दोनों..
किसी की कद्र, एक हद तक करना दीपक,
प्यार की ग़लतफ़हमी, बहुत जल्दी होती है..
आँखों में आँसू नहीं, पत्थर नज़र आया.
आँख लिए घूमता, अँधा नज़र आया|
जिंदगी तुझसे सबकुछ साझा नहीं किया...
मौत से दोस्ती मेरी तुझे पसंद ना आती...
प्यार में लुट गए लूटने वाले
लूट ले गए इसमें लुटने वाले.
~!दीपक
शायरी २००९
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1 comment:
hmmmm boss kya bat hai kaun hia:)
from..prachi
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