Sunday, April 5, 2009

तुम चले गए आज, ऐसा लगा रूठकर..

तुम चले गए आज, ऐसा लगा रूठकर..
यूँ तो तकरार की बातें ना थी तिल भर...
हम तो यूँ ही मौजों में बहे जाते हैं...
कश्ती से तेरी जब रहती है नज़र..
फिर अकस्मात ऐसा क्या हुआ...
कही तूफां की तो ना आई खबर..
अब डूबते है, तेरी रुखाई देखकर..
दिल डूब जाए तो क्या हो तैरकर..
बहुत खलिश सी दिल में उठती है..
और अँधेरी लगती है लहर..
अब जो डूबे तो ना बचेंगे..
मरने की भी शायद ही हो खबर...

~!दीपक
०५-अप्रैल-२००९

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